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रविवार, 5 सितंबर 2010

भूख से लड़ने वाला योद्धा -डा नारमन इ बोरलाग

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डा नारमन इ बोरलाग एक ऐसे ब्यक्ति का नाम है जो जीवन पर्यंत मानव जाती के लिए भूख से लड़ता रहा इस ऋषि को भारत सहित दुनिया के अनेक देश के लोग इन्हें हरित क्रांती का जनक कहते है २० वी सदी की इस क्रांति ने तीसरी दुनिया की करीब एक अरब कुपोषित आबादी को दो जून की रोटी उपलब्ध कराई डा बोरलाग को इस कार्य हेतु १९७० में नोबेल विश्व शांति पुरस्कार दिया गया इस वैज्ञानिक को भारत का अन्नदाता भी कहा जाता है और दुनिया इन्हें प्यार से प्रो व्हीट कहती है इनका जन्म २५ मार्च १९१४ को हुआ १९३९ इन्होने विश्विद्यालय से बी एसी करने के बाद १९४२ में पी यच डी की डिग्री प्राप्त करने के बाद १९४४ में मेक्सिको में गेहूं शोध से जुड़े उस समय गेहूं की उत्पादकता बहूत कम थी पुरे विश्व में लगभग आकाल की स्थिति थी परन्तु इस वैज्ञानिक ने हार न मानते हुए गेहूं के मोटे और छोटे ताने के विकाश के लिए १९५३ में नोरिन -१० नामक गेहूं की एक जापानी किस्म को अधिक उपजाऊ अमेरिकी किस्म बेबर -१४ से संकरण कराया इस प्रकार लगभग तीन गुना अधिक उत्पादन वाली जातीय प्राप्त हुयी जिससे भारत सहित अन्य विकाश शील देशो में खाद्य समस्या हल हुई हम इस ऋषि केआभारी रहेंगे रहेंगे

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गुरुवार, 2 सितंबर 2010

१०० वर्ष के अन्दर मिट सकती है मानव जाति

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दुनिया को स्माल पाक्स से मुक्त कराने में मदद करने वाले एक आस्ट्रेलिया के वैज्ञानिक ने एक संसनिकेज अनुमान में अगले १०० वर्षो में धरती से मानव जाति की समाप्ति हो जाने की बात कही है आस्ट्रेलियन नेसनल यूनिवर्सिटी में मेक्रोबायोलोजिकल के प्रोफ़ेसर फ्रांक फ्रिनर ने दावा किया है की मानव जाति जनसंख्या विस्फोट और प्राकृतिक संसाधनों की बेलगाम खपत को बर्दास्त नहीं कर पायेगी होमोसपियांस (मानव) संभवतः १०० वशो के अन्दर लुप्त हो जायेगा अनेक अन्य जीवो की भी समाप्ति हो जाएगी इस स्थिति को बदला नहीं जा सकता केयोकी अब बहुत देर हो चुकी है उन्होंने कहा की मै इसलिए नहीं कह रहा हों की लोग कुछ करने की कोसिस में है बल्कि वो इस तरफ से मूह मोड़े है फेनर ने कहा की मानव जाति एन्थ्रोपोसिंन नामक अनधिकृत वैज्ञानिक जुग में दाखिल हो चुकी है एन्थ्रोपोसिन औद्योगिक युग के बाद का समय है इसका पृथ्वी पर हिम युग था तथा किसी धूमकेतु के प्रथ्वी पर तकार वाला प्रभाव पड़ रहा है उन्होंने जलवायु परिवर्तन को भी इसका जिम्मेदार बताया

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