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गुरुवार, 28 जनवरी 2021

जीवन प्रत्याशा में हर साल 3 महीने की वृद्धि हो रही है

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ब्रिटेन की एक बैग यह प्रसिद्ध वैज्ञानिक का दावा है कि जीवन का 150 वां बसंत देखने वाला आदमी तो पहले ही जन्म ले चुका है लेकिन यह तो कुछ भी नहीं अगले दशकों में ऐसे कई पहले व्यक्ति पैदा होंगे जो उम्र के 1000 में पड़ाव तक पहुंचेंगे लोग भले ही इस बात पर विश्वास ना करें लेकिन डॉक्टर डी ग्रे नामक इस वैज्ञानिक को पूरा विश्वास है कि उनके ही जीवन काल में बैठ डॉक्टरों के पास वह सभी साधन और औजार होंगे जिससे वे बुढ़ापे का इलाज करने में पूरी तरह सक्षम होंगे बायोमेडिकल जेंटो लार्जेस्ट तथा अध्यक्षता पर पिछले कई वर्षों से शोध करने वाले संस्थान के प्रमुख वैज्ञानिक डॉक्टर डि gre  का दावा है कि ऐसा संभव होगा तमाम तरह की बीमारियों को समाप्त कर ऐसा करने से जीवन को अनिश्चित काल  के लिए बढ़ाया जा सकता है तब आदमी उम्रदराज तो होगा ना है वह स्पष्ट है इस समय जीवन प्रत्याशा में हर साल 3 महीने की वृद्धि हो रही है और विशेषज्ञों का मानना है कि वर्ष 2030 में 100 वर्ष की उम्र पार करने वाले की संख्या कई लाख में होगी इस समय दुनिया में सबसे ज्यादा जीने वाला व्यक्ति कार्यकाल 122 वर्ष का है जापान में वर्ष 2010 में 44000 से ज्यादा लोग 100 वर्ष से ज्यादा उम्र के थे उनका मानना है कि विकासशील देशों में कारण बाधित हो सकती है डॉक्टर डिग्री ऐसे समय को हकीकत बनते देखते हैं जब लोग अपने डॉक्टरों के पास नियमित मेंटेनेंस के लिए जाया करेंगे 
 उस समय तक जीन थेरेपी स्टेम सेल थेरेपी इम्यून सिस्टम स्टिमुलेशन एडवांस मेडिकल तकनीक आम लोगों की पहुंच तक होगी जिससे लोग अपने को फिट एवं फाइंड रख सकेंगे डॉक्टर डिग्री मानते हैं कि बुढ़ापा कुल मिलाकर हमारे शरीर में जीवन भर संजीत होने वाला अलग अलग  किस्म का सूक्ष्म और कोशिकीय loss  है और इसे रोकना संभव है इस बात पर अभी बात हो सकती है कि भविष्य में आदमी की औसत आयु कहां तक पहुंचेगी लेकिन जो प्रवृतियां है वह स्पष्ट है इस समय जीवन की प्रत्याशा में हर साल 3 महीने की वृद्धि हो रही है

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ऐसा जीन किसी भी पौधे को किसी भी मौसम में उगाने में सक्षम

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 अमेरिका के एक विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने पादपों में एक महत्वपूर्ण अनुसार अनुवांशिक जीन की पहचान की है जो उनकी जैविक घड़ी को गतिशील रखता है det1 नामक इस जीन की मदद से पादपों में कुछ बदलाव लाकर उन्हें भिन्न मौसमों और स्थानों पर उगाया जा सकता है साथ ही इससे वैश्विक खाद्य उत्पादन बढ़ सकता है ज्ञातव्य हो कि करीब करीब सभी जिलों में एक जैविक घड़ी होती है जो दिन और रात के साथ जैविक क्रियाओं के सामान में उन्हें मदद करती है पादपों में या घड़ी वृद्धि को दोनों समय और दिन या सीजन के लिए समायोजित करने में महत्वपूर्ण है यह घड़ी प्रातः जीवन और साय जीन से संबंध है प्रातः जिनके प्रोटीन दिन निकलने पर साय जीन पर हावी हो जाते हैं और शाम होने पर इसका उल्टा होता है अल्बर्ट विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा खोजी गई dt1 नामक जीन जैविक चक्कर में को दबाने में अहम भूमिका निभाता है मुख्य अनुसंधानकर्ता जिंक 1 दिन के अनुसार जो पादप कंपनी dt1 में बनाते हैं उनमें जैविक घड़ी तेज होती है उसमें कम समय में फूल आ जाते हैं beta1 नामक जीन की खोज से विलुप्त हो रहे औषधीय पौधों को दुर्गम स्थानों से इतर सहज और अन्य स्थानों पर भी उगाया जा सकता है इस खोज से चिकित्सा के क्षेत्र में काफी मदद मिल सकती है

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ऐसा व्यक्ति जिसने दी थी एड्स को मात

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अमेरिका के एक ऐसे व्यक्ति ने विश्व की सबसे खतरनाक बीमारी को मात देखकर चिकित्सा जगत को समर्पित कर दिया था वह दुनिया का ऐसा पहला मरीज है जिसके शरीर में एचआईवी वायरस पूरी तरह नष्ट हो चुके हैं 45 वर्षीय तिमोथी रे ब्राउन के लिए इसे किस्मत की ही बात कहेंगे कि दरअसल व एड्स के अलावा एक और प्राण घातक बीमारी एक प्रकार का ब्लड कैंसर से पीड़ित थे के इलाज के लिए उनके शरीर में एक बार बोन मैरो ट्रांसप्लांट किया गया है उसी के बाद उनका एड्स भी ठीक होने लगा अब उनके शरीर में एचआईवी वायरस पूरी तरह नष्ट हो चुके हैं डॉक्टरों ने इस अनोखी घटना को फंग्शनल चोर का 9995 में ब्राउन के शरीर में एचआईवी वायरस के संक्रमण के बारे में पता लगा था वह ल्यूकेमिया से जूझ रहे थे तब वह जर्मनी में रहते थे बर्लिन में 2007 में हुए बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन ने उनकी जिंदगी बदल दी वैज्ञानिकों का मानना है कि उनके शरीर में जिसका बोन मैरो प्रस्तावित किया गया उसके अंदर रहे होंगे जो के जरिए पहुंच गए और वह काकेशियाई मूल का रहा होगा यूरोप स्थित काकेशिया पर्वत इसके आसपास रहने वाले लोग के माने जाते हैं होते हैं और उत्तर पश्चिम एशिया पाए जाते हैं 1 प्रतिसत लोगों के शरीर में प्रतिरोध पाए जाते हैं उनमें से एक रहा होगा का मानना है कि में यूरोप में लाखों लोगों की जान लेने वाले ग्रेटर प्लेग से बच जाने वाले लोगों में स्वतः ही एड्स से लड़ने की छमता बिकसित हो गयी थी उसके बाद यह जीन पीढ़ी दर पीढ़ी उनके सन्तानो में आ गयी एच आई वी वायरस की खोज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के डाक्टर जे लेवि ने इसे चिक्तिसा जगत की एक उपलब्धि माना है उनका कहना है की उन एड्स प्रतिरोधी जीनो की संगरचना की पता लगाकर बड़ी सफलता हासिल की जा सकती है

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आईटी क्षेत्र में भविष्य में होने वाले बदलाव

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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस- इसके क्षेत्र में कई सफल परीक्षण हो चुकी हैं कुछ क्षेत्रों में इसकी सफलता भी प्राप्त की जा चुकी है आने वाले समय में मानव निर्णय और विश्लेषण के आधार पर इसका प्रयोग किए जाने की संभावना हैमशीन विजन इसमें काफी छोड़कर चल रहा है अभी तक निकालने के बाद बहुत बदलाव देखने को मिलेगा जिसमें ड्राइवरलेस कार और अपने से चलने वाले अन्य उपकरण सोमेटिक वेब - आंसरिंग मशीन मीटिंग बेबी आंसरिंग मशीन पर काफी शोध कार्य चल रहा है हालांकि इसको बनाने में सफलता हासिल नहीं हो पाई है आने वाले समय आने वाले इसके आने से सर्च इंजन की जरूरत समाप्त हो जाएगी सॉलि़ड स्टेट ड्राइव -इसे का प्रयास किया जा रहा है सॉलि़ड स्टेट ड्राइव बन जाने के बाद हार्ड ड्राइव की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी इस तकनीक की वजह से हटके लैपटॉप कंप्यूटर और पोर्टेबल इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का निर्माण संभव हो सकेगा साथ ही तेज और ऊर्जा के के फायदे स्टोरेज सिस्टम भी बनाए जा सकते हैं 3D ऑप्टिकल डाटा स्टोरेज- इस तकनीक के क्षेत्र में काफी कार्य चल रहा है इस तकनीक के आ जाने से मैग्नेटिक टेप स्टोरेज और अन्य मास स्टोरेज उपकरणों की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी इस तकनीक के द्वारा डाटा का भंडारण बड़े स्तर पर करना संभव हो जाएगा स स्पिंट्रॉनिक्स तकनीक- इसका वर्किंग पूर्व प्रोटोटाइप तैयार हो चुके हैं इस तकनीकी आ जाने से मैकेनिकल मैग्नेटिक हार्ड डिस्क ड्राइव की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी इस तकनीक से भारी डाटा भंडारण किया जा सकेगा वायरलेस कम्युनिकेशन इस तकनीक से सभी जगह नेटवर्क कनेक्टिविटी उपलब्ध होगी स्क्रीन लिस्ट डिस्प्ले वर्चुअल रियलिटी का सपना साकार हो सकेगा 3D डिस्प्ले -यह तकनीक बाजार में काफी सुधार हो जाएगा

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प्रकाश की गति वाले प्रयोग में चौंकाने वाले नतीजे

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जिनेवा में स्थित भौतिकी की दुनिया की सबसे बड़ी प्रयोगशाला शरण में वैज्ञानिकों का कहना है कि उन्होंने सबअटॉमिक पार्टिकल यानी अति सूक्ष्म कण ने दोनों की गति प्रकाश की गति से भी ज्यादा पाई है अगर ऐसा सच हुआ तो यह भौतिकी के मूलभूत नियमों को पलटने वाली खोज होगी क्योंकि उनके मुताबिक प्रकाश की गति से ज्यादा तेज कुछ भी नहीं है शर्म से 732 किलोमीटर दूर स्थित ग्रैंड सांसों प्रयोगशाला को भेजे गए न्यूट्रींों प्रकाश की गति से 1 सेकंड से के बहुत ही छोटे हिस्से से तेज पाए गए शोधकर्ता स्वीकार कर रहे हैं कि वे इस नतीजे से काफी आश्चर्यचकित है और इसलिए उन्होंने कोई दावा नहीं करते हुए अन्य लोगों से स्वतंत्र रूप से इसकी पुष्टि करने की अपील की है शोधकर्ताओं के गुटके ने कहा है कि वे इस दावे को लेकर काफी सावधानी बरत रहे हैं रिपोर्ट इटली में ग्रंथों की भूमिकाएं भेजा जिससे पता चले कि उनमें से कितने रूप बदलकर के रूप में वहां पहुंचे इस प्रयोग के दौरान शोधकर्ताओं ने देखा कि उतनी ही दूरी के कुछ हिस्से से तेजी से तय कर ली इस टीम ने नैनों की यह दूरी तय करने का प्रयोग किया उसके बाद इतनी बार इस जानकारी को पाया जिससे एक औपचारिक खोज कहा जा सके मगर वैज्ञानिकों का यह दल समझता है की प्रक्रिया में मामूली सी भी गलती से बेहद गलत नतीजे आ सकता है कि करने प्रकाश की गति को भी पछाड़ दिया इसलिए उन्होंने अपनी आंखों के सामने रख दिया है










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सिंगिंग वर्ल्ड के जीनोम का ब्लूप्रिंट तैयार

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 गाने वाली चिड़िया जेबरा फिंच के जीनोम का ब्लूप्रिंट तैयार कर लेने की डॉक्टरों द्वारा घोषणा की गई है वाशिंगटन विश्वविद्यालय के डॉ वेसले वारेन के नेतृत्व वाले एक अंतरराष्ट्रीय टीम द्वारा की गई इस खोज से कई वैज्ञानिक विधियों को सुलझाने में मदद मिलने की संभावना है खासकर इंसानों और अन्य प्राणियों में आवाज सीखने के रहस्य के बारे में जानने के लिए यह खोज काफी महत्वपूर्ण हो सकती है वैज्ञानिकों को विश्वास है कि इस जीनोम ब्लूप्रिंट से स्पीच डिसऑर्डर मसलन ऑटिज्म हकलाना और पार्किंसन जैसे रोगों के जेनेटिक कारण ओं को भी समझा जा सकता है जेबरा फिंच नाम की यह चिड़िया आवाज को सीखने की प्रक्रिया का बेहतरीन उदाहरण है उल्लेखनीय है कि सिंगिंग वर्ल्ड के अलावा मुर्गा ही एकमात्र ऐसा पक्षी है जिसके दिनों का पूरा खाका खींचने में सफलता वैज्ञानिकों को मिली है इस तुलना के बाद यह पता लगाया जा सका है कि आखिर कौन से ऐसे हैं जो आवाज गाने को सीखने में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं

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भ्रूण में दिल धड़कने की सफल विडिओग्राफी

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अमेरिकी वैज्ञानिकों ने भ्रूण में दिल धड़कने की शुरआती अवस्था का सजीव वीडियो तैयार करने में सफलता अर्जित की है में चिकित्सा स्टान विश्वविद्यालय के बेयलर कालेज विभाग के वैज्ञानिक high-resolution और इमेजिंग उपकरण से स्तनपाई के दिल के निर्माण की प्रक्रिया को दर्ज कर रहे हैं यह एक महत्वपूर्ण की सबसे बढ़िया और जीवन तस्वीर होगी वैज्ञानिकों ने ऑप्टिकल्स को हरेंद्र टोमोग्राफी की मदद से परिसंचरण संबंधी अनियमितताओं का विश्लेषण किया है इस तकनीक में किसी बिंदु पर पड़ने वाले इंफ्रारेड लेजर कुंज के परावर्तन से बहुत गहराई वाली तस्वीर प्राप्त होती है अल्ट्रासाउंड की ध्वनि तरंगों से जहां दानेदार जो इमेज प्राप्त होती है वही उसी में कल कष्ट और उसे प्राप्त करने में मदद मिलती है

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चीनी वैज्ञानिकों ने खोजा ब्रह्मपुत्र और सिंधु नदियों का उद्गम

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 ब्रह्मपुत्र पर बांध बनाने समेत तिब्बत में कई जल परियोजनाओं को अंजाम देने के लिए तैयार बैठे चीन के वैज्ञानिकों ने तिब्बत की सीमा से बहने वाली नदियों के उद्गम स्थल और उनके मार्ग की लंबाई का व्यापक उपग्रह अध्ययन पूरा कर लिया है चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज के वैज्ञानिकों ने ब्रह्मपुत्र के मार्ग की उपग्रह से ली गई तस्वीरों का विश्लेषण करने के साथ भारत पाकिस्तान से बहने वाली सिंधु और म्यांमार के रास्ते बहने वाली सालवीन और इरावडी के बहाव के बारे में भी पूरा विवरण उठा लिया है सी ए एस के तहत आने वाली इंस्टीट्यूट आफ रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन के शोधकर्ता न्यू साउथ शिवांग ने बताया कि इसके बाद पहले 4 नदियों के उद्गम कभी स्पष्ट नहीं हुए थे और इनकी लंबाई क्षेत्र के बारे में आ रहे विभिन्न जानकारियों ने शोधकर्ताओं को कई साल तक भ्रम में रखा था क्योंकि इस कार्य में प्राकृतिक परिस्थितियों से जुड़ी कई बाधाएं आती थी और सर्वेक्षण की तकनीक भी सीमित थी न्यू ने अपने विश्लेषण के आधार पर बताया कि ब्रह्मपुत्र का उद्गम स्थल तिब्बत के दौरान काउंटी स्थित हिमालय पर्वत के उत्तरी क्षेत्र में स्थित सांसी ग्लेशियर है न कि सीमा युंग डुंग ग्लेशियर इसे भूगोल विद स्वामी प्रणवानंद ने 1930 के दशक में ब्रह्मपुत्र का उद्गम बताया था

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जीएम फसलों का विकास

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आईसीएआर और दिल्ली विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने विशिष्ट गुणों वाली जीएम फसलों का विकास किया है फसलों में विभिन्न रोगों की रोकथाम में जीन संपादन द्वारा सफलता प्राप्त करने के बाद वैज्ञानिक अब सूखा  
 चार पाला और लवण रोड़ी फसलों के विकास के साथ ही खनिज संपदा से भरपूर प्रजातियों के विकास के लिए कार्य कर रहे हैं भारत में सूखा रोधी धान और सरसों की किस्मों पर जीनों के फेरबदल के प्रयोग भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और दिल्ली विश्वविद्यालय में किए जा रहे हैं पूसा में डीएम चोपड़ा और उनकी टीम ने सरसों की जय किसान नामक प्रजाति का विकास सोमैक्लोनल  वेरिएशन तकनीक
से किया सरसों की फसल सुखा रोटी और अगेती होने के कारण किसानों द्वारा पसंद की गई इसी प्रकार चेन्नई के एम एस स्वामीनाथन रिसर्च फाऊंडेशन की प्रयोगशाला में समुद्र के खारे पानी को चाहने वाले जीन को समुद्री maigro tree से अलग करके तंबाकू में सफलतापूर्वक प्रवेश किया गया  अब उसे paddy में प्रविष्ट करा दिया गया है इस प्रकार समुद्र के खारे पानी से धान पैदा होने की संभावनाएं बढ़ गई हैं  भारत में कोल्ड स्टोरेज कोल्ड चीन की सुविधा की कमी और अनियमित बिजली आपूर्ति के कारण फल फूल और सब्जियों को अधिक समय तक सुरक्षित नहीं रखा जा सकता ऐसी स्थिति में यदि जिलों के फेरबदल से इन फसलों को अधिक देर तक टिकाऊ ताजा और सुरक्षित बना दिया जाए तो किसानों के साथ-साथ वक्ताओं को भी लाभ होगा वैज्ञानिक इस दिशा में कार्य कर रहे हैं स्विस फेडरल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने रॉकफेलर प्रतिष्ठान की सहायता से धान की गोल्डन राइस किस्म को विकसित किया है इसमें विटामिन ए पैदा करने वाला जीन डाला गया है फिलीपींस स्थित अंतरराष्ट्रीय धान अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों ने अधिक लोहे और जस्टिस से युक्त धान के बीजों का विकास किया है यह बी एनीमिया से ग्रस्त बच्चों और महिलाओं के लिए वरदान सिद्ध होगा जीएम फसलों के उत्पादन बढ़ाया जा सकता है वैज्ञानिक शोध पर आधारित विश्व बैंक की एक रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि विकासशील देशों में जीएम तकनीक से प्रायः सभी फसलों का उत्पादन 25% बढ़ाया जा सकता है चीन के किसानों ने 1997 से बीटी कपास हुआ कर कपास उत्पादन लागत को 8% कम किया है दुनिया में एक तिहाई सिंचित क्षेत्र सिर्फ इस लिए खेती के लिए अनुपयुक्त हो गया है क्योंकि वहां की जमीन छारीय हो चुकी है ऐसी जमीन पर जीएम फसलों को उगाया जा सकता है यह फसलें सूखे को भी काफी हद तक सहन करने के योग्य होती हैं सबसे बड़ी बात है कि हम जीएम फसलों को पूर्णता कृतिम वातावरण में उगने लायक बना सकते हैं

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विज्ञान और आत्मा

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विज्ञान का सफर आदि काल से शुरू हो गया था | जब मनुष्य कृषि और पत्थर के औंजारो का प्रयोग किया विज्ञान ने जहा हमे तकनीको के द्वार खोल कर जीवन को सरल एवं सुगम्य बनाया है परंतु अध्यात्म के विना जीवन मे शांती नहीं मिल सकती कही ना कही विज्ञान और अध्यात्म एक हो जाते है आगे देखे कैसे तकनीक ने हमारा जीवन आसान कर दिया है इस सिद्धांत के अनुसार हमारी आत्मा का मूल स्थान मस्तिष्क की कोशिकाओं के अंदर बने ढांचों में होता है जिसे माइक्रोटयूबुल्स कहते हैं। दोनों वैज्ञानिकों का तर्क है कि इन माइक्रोटयूबुल्स पर पड़ने वाले क्वांटम गुरुत्वाकर्षण प्रभाव के परिणामस्वरूप हमें चेतनता का अनुभव होता है। वैज्ञानिकों ने इस सिद्धांत को आर्वेक्स्ट्रेड ऑब्जेक्टिव रिडक्शन (आर्च-ओर) का नाम दिया है। इस सिद्धांत के अनुसार हमारी आत्मा मस्तिष्क में न्यूरॉन के बीच होने वाले संबंध से कहीं व्यापक है। दरअसल, इसका निर्माण उन्हीं तंतुओं से हुआ जिससे ब्रह्मांड बना था। यह आत्मा काल के जन्म से ही व्याप्त थी। अखबार के अनुसार यह परिकल्पना बौद्ध एवं हिन्दुओं की इस मान्यता से काफी कुछ मिलती-जुलती है कि चेतनता ब्रह्मांड का अभिन्न अंग है। इन परिकल्पना के साथ हेमराफ कहते हैं कि मृत्यु जैसे अनुभव में माइक्रोटयूबुल्स अपनी क्वांटम अवस्था गंवा देते हैं, लेकिन इसके अंदर के अनुभव नष्ट नहीं होते। आत्मा केवल शरीर छोड़ती है और ब्रह्मांड में विलीन हो जाती है। हेमराफ का कहना है कि हम कह सकते हैं कि दिल धड़कना बंद हो जाता है, रक्त का प्रवाह रुक जाता है, माइक्रोटयूबुल्स अपनी क्वांटम अवस्था गंवा देते हैं, माइक्रोटयूबुल्स में क्वांटम सूचनाएं नष्ट नहीं होतीं। ये नष्ट नहीं हो सकतीं। यह महज व्यापक ब्रह्मांड में वितरित एवं विलीन हो जाती हैं। उन्होंने कहा कि यदि रोगी बच जाता है तो यह क्वांटम सूचना माइक्रोटयूबुल्स में वापस चली जाती है तथा रोगी कहता है कि उसे मृत्यु जैसा अनुभव हुआ है। हेमराफ यह भी कहते हैं कि यदि रोगी ठीक नहीं हो पाता और उसकी मृत्यु हो जाती है तो यह संभव है कि यह क्वांटम सूचना शरीर के बाहर व्याप्त है। हमारे पौराणिक एवं धार्मिक पुस्तको मे अनन्त सृष्टि की कल्पना की गयी है | ईश्वर को अनन्त माना गया है , और उसकी लीलाओ को अनन्त कहा गया है | धर्म के अनुसार ईश्वर का वास हर कण मे है और उसकी माया अनन्त है विज्ञान भी अब एक से ज्यादे विश्‍व को मानने लगा है | राजर पेनरोज़ जो की गणितग्य है लेकिन खगौल विज्ञान मे उनका महत्वा पूर्ण योगदान है | उन्होने अपनी पिछली पुस्तक “द एम्पर्स न्यू माएंड ” मस्तिष्क और चेतना को लेकर थी , जी बहूत चर्चित हुई थी |उनकी नयी किताब ” साएकल्स आफ टाईम : एन एक्सट्रा आर्डनरी न्यू आफ द यूनिवर्स ” मे नयी अवधारणा के मुताबिक ब्रमांड अनन्त है वह कभी नष्ट नहीं होता उसमे उसमे अनन्त कल्पो के चक्र एक के बाद आते रहते है |आम तौर पर विज्ञान मे प्रचलित है की सृष्टि का आरंभ एक विग बैक या बड़े विस्फोट से हुई है , इसके बाद ब्रमांड फैलता गया जो अब भी फैल रहा है एक समय के बाद ब्रमांड के फैलने की उर्जा समाप्त हो जायेगी और ब्रमांड पुनः छोटे से बिन्दु पे आ जायेगी | पेनरोज़ की अवधारणा इससे विल्कुल अलग है वह समय के चक्र की अवधारणा सामने रखते है उनका कहना है की एक ‘एओन ‘ या कल्प की समाप्ति ब्रमांड की ऊर्जा खत्म होने के साथ होती है पर ब्रमांड सिकुड़ कर खत्म नहीं हो जाता ऊर्जा खत्म होने से ब्रमांड की मास या द्रब्यमान समाप्त हो जाता है, द्रब्यमान समाप्त होने से समय काल मे कोई भेद नहीं रह जाता |जब मास ही नहीं होता तो भूत भविष्य , छोटा बड़ा ये सारी अवधारणाये खत्म हो जाती है एक अर्थ मे ब्रमांड की अपनी विशालता की स्मृति खत्म हो जाती है , तब यह अंत अगले बिग बैंक की शुरूआत होती है |और यह अनन्त काल तक जारी रहता है इसके लिये उन्होने कयी प्रमाण दिये है हालांकि वो कहते है की इसमे अभी और काम करने की आवश्कता है क़्वाण्टम मेकेनिक्स से भी से भी अनेक सृष्टि की अवधारणा मिलती है | भौतिक के स्ट्रिंग सिधांत के अनुसार चार आयाम के अलावा भी कई आयाम है ये सारे आयाम हमारी दुनिया मे कयी दुनिया बनाते है और इन दुनियाओ का आपस मे सम्बंध गुरुत्वा कर्षण के कारण होता है | जो तमाम स्तरों पर एक ही होता है तो क्या वैज्ञानिक कही ना कही ईश्वर की अवधारणा को स्वीकार तो नहीं कर रहे स्वय विचार करे

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चमकदार मशरूम

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ब्राजील के वर्षा वनों में वैज्ञानिकों को फिर से वह मशरूम मिल गई है जो 1840 के बाद से नहीं देखी गई थी इस चमकदार मशरूम की खोज सन फ्रांसिस्को स्टेट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक डेनिस डेस जार्डिन और उनकी टीम द्वारा की गई है या मशरूम अंधेरे में इतनी तेजी से चमकती है कि उसके प्रकाश में अखबार पढ़ा जा सकता है शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि इसकी खोज के बाद वे इस बात का पता लगाने में सफल होंगे कि क्यों कुछ फंगस में चमकने की क्षमता होती है वैज्ञानिकों ने इस मशरूम को फिर से नियमों को पाना गार्डनर के नाम से वर्गीकृत किया है न्यू नोट ओपनस गार्डनर को आखरी बार 1840 में ब्रिटिश वनस्पति विज्ञानी जॉर्ज गार्डनर ने तब देखा था जब कुछ बच्चे इस प्रकार चमकदार मशरूम से खेल रहे थे इस मशरूम के हरे प्रकाश का पता लगाने के लिए डॉ डेस जारटिन और उनके सहयोगियों को कई सप्ताह तक अंधेरी रातों में ब्राजील के जंगलों में भटकना पड़ा तथा डिजिटल कैमरों की मदद से वे रात में चमक रहे इस मशरूम की फोटो कैमरे में उतारने में सफल रहे जेलीफिश और जुगनू ऐसे ही कुछ जंतु है जो चमक पैदा करते हैं बैटरी ओं से संगी संगी और मछली से की रासायनिक प्रक्रिया के द्वारा इस तरह चमक पैदा करते हैं लेकिन खोजे के मसलों को लेकर अभी यह स्पष्ट नहीं है या किस प्रकार अंधेरे में चमक पैदा करता है

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गुरुवार, 7 जनवरी 2021

wordmedia.in: होमी जहांगीर भाभा की भविष्यवाणी क्या ब्रिटेन में स...

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wordmedia.in: होमी जहांगीर भाभा की भविष्यवाणी क्या ब्रिटेन में स...: ब्रिटेन ने 2040 तक फ्यूज़न रिएक्टर वाला व्यावसायिक बिजलीघर बनाने का एलान किया है. क्या यह मुमकिन है?न्यूक्लियर फ्यूज़न (संलयन) का विज्ञान 19...

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