( पुनर्प्रेषित )
बीज मन्त्र
बीज मन्त्रों की रचना में वैज्ञानिक आधार है | विशेष ध्वनी का शरीर के विशेष आंतरिक अंगों पर विशेष प्रभाव होता है | ख़ास अक्षरों कि विशेषता है की उनके निरंतर जाप से आपके भाव भी बदल सकते हैं |आप किसी ख़ास अक्षर या शब्द को निरंतर जपते हैं तो आपमें क्रोध उत्पन्न हो सकता है , आपमें प्रेम उत्पन्न हो सकता है , भय उत्पन्न हो सकता है , घृणा उत्पन्न हो सकता है | मैं सिर्फ ख्याली बातें नहीं करता आप प्रयोग कर के देख सकते है | एक प्रयोग बताता हूँ “ रं ” अग्नि बीज है | इसका निरंतर जाप आपमें उर्जा उत्पन्न कर देगा मणिपुर चक्र को सक्रीय कर देगा | इस बीज के जाप से आपके अंदर अतिशय क्रोध उत्पन्न हो सकता है | इसलिए इस बीज के जाप के समय ध्यान अत्यंत आवश्यक है ध्यान को दो जगहों पर केन्द्रित करना पड़ता है प्रारम्भ में एक दो मिनट आज्ञा चक्र (दोनों भौं के मध्य ) पर पुन : उसके बाद निरंतर मणिपुर चक्र (नाभि से एक दो अंगुल निचे ) पर | अगर आप ध्यान के साथ इस अग्नि बीज का जाप करते हैं तो कोई दुष्प्रभाव नहीं होगा और आप अत्यंत उर्जा का अनुभव करेंगे | ( रं अग्नि बीज के जाप के समय ब्रह्मचर्य रहना आवश्यक है )
एक मन्त्र है “ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ” | इस मन्त्र के जाप करने पर आप अपने अंदर प्रेम के भाव की गहनता मह्शूश कर सकते हैं | इस मन्त्र के जाप के समय अपना ध्यान हृदय यानी अनाहत चक्र (छाती के दोनों पसलियों के मध्य ) के पास लगाना पड़ता है |
ये कुछ उदाहरण मैंने रखा बीज मन्त्रों की महता एवं प्रयोग के सम्बन्ध में | हर बीज मन्त्र का अपना ऊर्जा है वह विशेष रूप से कार्य करता है | शिव सारे मन्त्रों के स्रष्टा हैं भगवान भोले नाथ हम प्राणियों पर दया कर इन मन्त्रों का प्रसाद हमें दिया है | हमें शिव के इस प्रसाद से अवश्य लाभान्वित होना चाहिए |
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आज एक पुराना पोस्ट हीं पोस्ट कर रहा हूँ इसे पहले भी पोस्ट किया था ।
और विशेष कुछ अभी कहने को नहीं है , थोड़ी आर्थिक समस्या से जूझ रहा हूँ । एक बात तो सही है यह मेरा व्यक्तिगत अनुभव है अगर आप अध्यात्मिक संपदा से पूर्ण हैं तो ईश्वर थोडा आर्थिक मामले में परीक्षा लेता है 🙂 और अगर आर्थिक रूप से सम्पन्न हैं तो अध्यात्मिक संपदा की कमी होगी । आपका अनुभव क्या कहता है अवश्य टिप्पणी करें । दोनों रूप से दृष्टि सम्पन्न लोग भी होते हैं किन्तु वे विरले हीं मिलते हैं ।
ॐ ॐ ॐ
सभी सुखी हों । सभी का ध्यान में गति हो ।
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