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गुरुवार, 8 अप्रैल 2021

अपनी आध्यात्मिक अवस्था को कैसे जाने

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 प्रत्येक साधक की कुछ दिन ध्यान साधना करने के बाद यह जानने की इच्छा होती हैं की मेरी कुछ आध्यात्मिक प्रगति हुई या नहीं और आध्यात्मिक प्रगति को नापने का मापदंड है  आपका अपना चित्त,आपका अपना चित्त कितना शुद्ध और पवित्र हुआ है  वही आपकी आध्यात्मिक स्थिति को दर्शाता हैं ।अब आपको भी अपनी...

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बुधवार, 7 अप्रैल 2021

यह आत्मा चैतन्य है

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 मुक्त है। असीम है।सभी में व्याप्त है। आत्मा को किसी भी बंधन में बांधा नहीं जा सकता शरीर तो सीमित है। मन बुद्धि सीमित है। यह सारी विविधता शारीरिक और मानसिक है।आत्मा में कोई विविधता नहीं तुम शरीर नहीं हूं व्यापक आत्मा हो इस कारण तुम सदैव से ही मुक्त हो यह मुक्ति तुम्हारा स्वभाव है। इसको...

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मंगलवार, 6 अप्रैल 2021

आध्यात्म ज्ञान

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अध्यात्म ज्ञान धारण करने का तत्व है हम जितना अध्यात्म को धारण करते जाएंगे उतना ज्यादा ईश्वर का और सत्य का अनुभव करते जाएंगे बिना धारण किए हुए यह ज्ञान हमारे किसी काम का नहीं है ?जैसे ठंड का महीना चल रहा है हमें ठंडी भी खूब लग रही है और हम कंबल का खूब बखान करें कंबल इतना होता है मोटा होता है बहुत गर्म...

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वास्तविक स्वरूप

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मनुष्य का वास्तविक स्वरूप उसकी आत्मा है। किन्तु मन को ही अपना स्वरूप मान लेता है। अपने को चैतन्य स्वरूप मानने पर साधक चिदानंद स्वरूप में लीन हो जाता है।जिस प्रकार आकाश भी शून्य स्वभाव है। तो भी उसकी सत्ता को स्वीकार किया गया है। इसी प्रकार वह परमात्मा भी शून्य स्वभाव वाला होते हुवे भी उसकी सत्ता है।...

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रविवार, 4 अप्रैल 2021

कर्म और प्रतिकर्म🌹

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🌹हम किसे कर्म समझते हैं? हम प्रतिकर्म को कर्म समझे हुए हैं, रिएक्शन को एक्शन समझे हुए हैं। किसी ने गाली दी आपको, और आपने भी उत्तर में गाली दी। आप जो गाली दे रहे हैं, वह कर्म न हुआ; वह प्रतिकर्म हुआ, रिएक्शन हुआ। किसी ने प्रशंसा की, और आप मुस्कुराए, आनंदित हुए; वह आनंदित होना कर्म न हुआ; प्रतिकर्म हुआ,...

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शुक्रवार, 2 अप्रैल 2021

स्थिर अवस्था चित्त की

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दो विचारो के मध्य जो अवकाश है। वह अवकाश ही उपयोगी है। वही स्थिर अवस्था है। जिस पर ध्यान केंद्रित करने से चेतनतत्व की अनुभूति हो जाती है।जब तक पानी मे हलचल होती है। तबतक चन्द्रमा का बिम्ब नही दिखाई देता इसी प्रकार मन की चंचलता से ही आत्मा का बिम्ब नही दिखाई देता है।चित्त जब शून्य अवस्था मे पहुच जाता...

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कुंडलिनी जागरण के सातों चक्र द्वारा स्वयं को खोजना

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कुंडलिनी जागरण के सात ऊर्जा चक्र...... सम्पूर्ण जान कारी..विषय बहुत लम्बा है रुचि हो तो पढ़ लेना...शेयर कर लेना..आध्यात्मिक राह वालों के लिए वरदान है..मूलाधार या मूल चक्र ( आधार चक्र )कुंडलिनी जागरण के सात चक्र में से ये चक्र पहला चक्र है । यह जननेन्द्रिय और मलद्वार के बीच स्थित होता है । स्त्रियों...

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गुरुवार, 1 अप्रैल 2021

-पुरुष की अपेक्षा स्त्री क्यों अधिक सुन्दर, सुडौल और आकर्षक होती है ?

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स्वयंकीओर

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 *एकांत, मौन और ध्यान—समाधि के उपाय हैं। ये तीन चरण हैं।*_अपने को अकेला जानो। अकेले आए हो, अकेले जाओगे, अकेले हो। संग—साथ सब झूठ है। संग—साथ सब खेल है। संग—साथ सब मान्यता है, मानी हुई बात है। कोन किसका है? न पत्नी, न पति; न भाई, न बहन, न मित्र। कोन किसका है? अकेले आए, अकेले जाओगे, अकेले हो।__इस...

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